सोमवार, 5 दिसंबर 2016

अलंकार

प्रश्न 1. अतिशयोक्ति अलंकार की परिभाषा उदहारण सहित लिखिए । (2013,2015)
उत्तर -  अतिशयोक्ति अलंकार की परिभाषा एवं उदाहरण  -
काव्य में जहाँ  लोक सीमा का अतिक्रमण करके किसी बात को बढ़ा चढ़ा के कहा जाए, वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है। उदाहरण- 

*  हनुमान की पूँछ में, लगन न पायी आग।
   लंका सगरी जल गई, गए निशाचर भाग।।

स्पष्टीकरण - यहाँ हनुमान जी की पूँछ में आग लगने से पहले ही लंका का जलना और निशाचरों का भागना वर्णित है , अतः यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है । 

*  आगे नदिया पड़ी अपार, घोडा कैसे उतरे पार।
    राणा ने सोचा इस पार, तब तक चेतक था उस पार
।।

स्पष्टीकरण - यहाँ पर चेतक घोड़े की चाल को बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत किया गया है , अतः यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है । 

    देखि सुदामा की दीन दसा, 
    करुना करिकै करणानिधि रोए | 
    पानी परात को हाथ छुयौ  नहिं ,
    नैनन  के जल सों  पग धोए | 

स्पष्टीकरण - यहाँ अंतिम दो चरणों में  अतिशयोक्ति अलंकार है क्योकि बिना पानी परात को स्पर्श किए बिना आंसुओं से पैर धोना अपने आप में अतिशयोक्ति है | 




प्रश्न 2. अन्योक्ति अलंकार किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइए । 


उत्तर -  अन्योक्ति अलंकार की परिभाषा एवं उदाहरण  - 
   जहाँ उपमान के बहाने उपमेय का वर्णन किया जाय या कोई बात सीधे न कहकर किसी के सहारे की जाय या जहाँ  अप्रस्तुत कथन के माध्यम से   प्रस्तुत  का बोध हो, वहाँ अन्योक्ति  अलंकार होता है।   जैसे-

*  नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहिकाल।
    अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल।।

स्पष्टीकरण - अप्रस्तुत अली ( भौंरा ) प्रस्तुत राजा  एवं अप्रस्तुत कली के माध्यम से प्रस्तुत रानी का उल्लेख किया गया है , इसलिए यहाँ अन्योक्ति अलंकार है । 

*  माली आवत देखकर कलियन करी पुकार । 
   फूले- फूले चुन लिए , काल्हि हमारी बार ।। 

स्पष्टीकरण - माली, कलियाँ और फूल अप्रस्तुत हैं , जिनके द्वारा प्रस्तुत काल, जीवन और मृत्यु का बोध कराया गया है । 

    इहिं आस अटक्यो रहत, अली गुलाब के मूल | 
   अइहैं  फेरि बसंत रितु , इन डारन के मूल | | 


प्रश्न 3 . वक्रोक्ति अलंकार की  परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए । (2016)

उत्तर- वक्रोक्ति अलंकार की  परिभाषा एवं उदाहरण - 

     वक्रोक्ति का अर्थ है , टेढ़ा कथन या उक्ति वैचित्र्य | 
    अर्थात  जहाँ किसी उक्ति का अर्थ जान बूझकर वक्ता के अभिप्राय से अलग लिया जाता है, वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है। 
उदाहरण-

*  कौ तुम? हैं घनश्याम हम ।
    तो बरसों कित जाई।

स्पष्टीकरण - यहां राधा ने घनश्याम का अर्थ समझते हुए भी बादल से लगाया है । अतः यहाँ वक्रोक्ति अलंकार है ।    

    मैं सुकमारि नाथ बन जोगू | 

    तुमहिं उचित तप मो कहू भोगू | | 

स्पष्टीकरण - यहां सीता जी के कथन का अर्थ  कि ' हे नाथ यदि आप बन जाने के योग्य हैं तो मैं क्यों नहीं ?  का अर्थ समझते हुए भी दूसरा अर्थ लिया जा रहा है  । अतः यहाँ वक्रोक्ति अलंकार है ।    


4 टिप्‍पणियां:

  1. नाम- जितेन्द्र कुमार जैन
    पिता का नाम- कुंवर लाल जैनन्
    शिक्षा- शास्त्री ; एम. ए. हिन्दी; संस्कृत; बी. एड
    जन्मदिनांक-16/09/1982
    वैवाहिक दिनांक----नहीं
    ब्लडग्रुप---A+
    पत्रकारिता से संबंध--लेखन
    संपादक---वार्षिक पत्रिका
    लेखक/विद्वान - दोनों
    WhatsApp no..9981364481
    मोबाइल नं..9981364481
    E-mail.jeetjain50@gmail.com
    पूरा पता-- जितेन्द्र जैन शास्त्री श्री पार्श्वनाथ जैन मन्दिर के बाजू मे. पोस्ट साहब सिंगोडी ; जिला छिन्दवाडा म.प्र. Pin 480223

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