प्रश्न 1. अतिशयोक्ति अलंकार की परिभाषा उदहारण सहित लिखिए । (2013,2015)
* हनुमान की पूँछ में, लगन न पायी आग।
लंका सगरी जल गई, गए निशाचर भाग।।
* आगे नदिया पड़ी अपार, घोडा कैसे उतरे पार।
राणा ने सोचा इस पार, तब तक चेतक था उस पार।।
* नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहिकाल।
अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल।।
* माली आवत देखकर कलियन करी पुकार ।
* कौ तुम? हैं घनश्याम हम ।
तो बरसों कित जाई।
उत्तर - अतिशयोक्ति अलंकार की परिभाषा एवं उदाहरण -
काव्य में जहाँ लोक सीमा का अतिक्रमण करके किसी बात को बढ़ा चढ़ा के कहा जाए, वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है। उदाहरण-
* हनुमान की पूँछ में, लगन न पायी आग।
लंका सगरी जल गई, गए निशाचर भाग।।
स्पष्टीकरण - यहाँ हनुमान जी की पूँछ में आग लगने से पहले ही लंका का जलना और निशाचरों का भागना वर्णित है , अतः यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है ।
* आगे नदिया पड़ी अपार, घोडा कैसे उतरे पार।
राणा ने सोचा इस पार, तब तक चेतक था उस पार।।
स्पष्टीकरण - यहाँ पर चेतक घोड़े की चाल को बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत किया गया है , अतः यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है ।
देखि सुदामा की दीन दसा,
करुना करिकै करणानिधि रोए |
पानी परात को हाथ छुयौ नहिं ,
नैनन के जल सों पग धोए |
स्पष्टीकरण - यहाँ अंतिम दो चरणों में अतिशयोक्ति अलंकार है क्योकि बिना पानी परात को स्पर्श किए बिना आंसुओं से पैर धोना अपने आप में अतिशयोक्ति है |
देखि सुदामा की दीन दसा,
करुना करिकै करणानिधि रोए |
पानी परात को हाथ छुयौ नहिं ,
नैनन के जल सों पग धोए |
स्पष्टीकरण - यहाँ अंतिम दो चरणों में अतिशयोक्ति अलंकार है क्योकि बिना पानी परात को स्पर्श किए बिना आंसुओं से पैर धोना अपने आप में अतिशयोक्ति है |
प्रश्न 2. अन्योक्ति अलंकार किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइए ।
उत्तर - अन्योक्ति अलंकार की परिभाषा एवं उदाहरण -
जहाँ उपमान के बहाने उपमेय का वर्णन किया जाय या कोई बात सीधे न कहकर किसी के सहारे की जाय या जहाँ अप्रस्तुत कथन के माध्यम से प्रस्तुत का बोध हो, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है। जैसे-
* नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहिकाल।
अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल।।
स्पष्टीकरण - अप्रस्तुत अली ( भौंरा ) प्रस्तुत राजा एवं अप्रस्तुत कली के माध्यम से प्रस्तुत रानी का उल्लेख किया गया है , इसलिए यहाँ अन्योक्ति अलंकार है ।
* माली आवत देखकर कलियन करी पुकार ।
फूले- फूले चुन लिए , काल्हि हमारी बार ।।
स्पष्टीकरण - माली, कलियाँ और फूल अप्रस्तुत हैं , जिनके द्वारा प्रस्तुत काल, जीवन और मृत्यु का बोध कराया गया है ।
इहिं आस अटक्यो रहत, अली गुलाब के मूल |
अइहैं फेरि बसंत रितु , इन डारन के मूल | |
इहिं आस अटक्यो रहत, अली गुलाब के मूल |
अइहैं फेरि बसंत रितु , इन डारन के मूल | |
प्रश्न 3 . वक्रोक्ति अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए । (2016)
उत्तर- वक्रोक्ति अलंकार की परिभाषा एवं उदाहरण -
वक्रोक्ति का अर्थ है , टेढ़ा कथन या उक्ति वैचित्र्य |
अर्थात जहाँ किसी उक्ति का अर्थ जान बूझकर वक्ता के अभिप्राय से अलग लिया जाता है, वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है।
उदाहरण-
उदाहरण-
* कौ तुम? हैं घनश्याम हम ।
तो बरसों कित जाई।
स्पष्टीकरण - यहां राधा ने घनश्याम का अर्थ समझते हुए भी बादल से लगाया है । अतः यहाँ वक्रोक्ति अलंकार है ।
मैं सुकमारि नाथ बन जोगू |
तुमहिं उचित तप मो कहू भोगू | |
स्पष्टीकरण - यहां सीता जी के कथन का अर्थ कि ' हे नाथ यदि आप बन जाने के योग्य हैं तो मैं क्यों नहीं ? का अर्थ समझते हुए भी दूसरा अर्थ लिया जा रहा है । अतः यहाँ वक्रोक्ति अलंकार है ।
मैं सुकमारि नाथ बन जोगू |
तुमहिं उचित तप मो कहू भोगू | |
स्पष्टीकरण - यहां सीता जी के कथन का अर्थ कि ' हे नाथ यदि आप बन जाने के योग्य हैं तो मैं क्यों नहीं ? का अर्थ समझते हुए भी दूसरा अर्थ लिया जा रहा है । अतः यहाँ वक्रोक्ति अलंकार है ।
Hh
जवाब देंहटाएंअच्छा है
जवाब देंहटाएंनाम- जितेन्द्र कुमार जैन
जवाब देंहटाएंपिता का नाम- कुंवर लाल जैनन्
शिक्षा- शास्त्री ; एम. ए. हिन्दी; संस्कृत; बी. एड
जन्मदिनांक-16/09/1982
वैवाहिक दिनांक----नहीं
ब्लडग्रुप---A+
पत्रकारिता से संबंध--लेखन
संपादक---वार्षिक पत्रिका
लेखक/विद्वान - दोनों
WhatsApp no..9981364481
मोबाइल नं..9981364481
E-mail.jeetjain50@gmail.com
पूरा पता-- जितेन्द्र जैन शास्त्री श्री पार्श्वनाथ जैन मन्दिर के बाजू मे. पोस्ट साहब सिंगोडी ; जिला छिन्दवाडा म.प्र. Pin 480223
सत्य है यह
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