सोमवार, 16 जनवरी 2017

अपठित गद्यांश

अपठित गद्यांश
अपठित गद्यांश भाषाई योग्यता मापन के उपकरण के रूप में परीक्षा में प्रयुक्त होते हैं | इसके माध्यम से बच्चों का पढकर समझने की दक्षता का मूल्यांकन किया जाता है | भाषा का अपरचित स्थितियों में प्रयोग कर सकने की क्षमता का आकलन किया जाता है| अपठित गद्यांश के अन्तर्गत उससे सम्बन्धित प्रश्न हल करने के लिए दिए जाते हैं|

अपठित गद्यांश से आशय

अपठित का अर्थ होता है, न पढ़ा हुआ | अर्थात अपठित गद्यांश- गद्य का वह अंश है, जिसे हम कभी नहीं पढ़े रहते |
अपठित गद्यांश से सम्बन्धित प्रश्नों को हल करने के पूर्व की सावधानियां-
1. सर्व प्रथम गद्यांश से सम्बन्धित पूछे गए प्रश्नों को ध्यान से पढ़ें |
2. तत्पश्चात गद्यांश को ध्यानपूर्वक दो से तीन बार पढ़ें |
3. प्रश्नों से सम्बन्धित अंश को पेन्सिल से चिन्हांकित करें |
4. पूछे गए प्रश्नों के उत्तर अपने शब्दों में संक्षेप में दें |
5. शीर्षक से सम्बन्धित प्रश्न का उत्तर देने के पूर्व गद्यांश के केन्द्रीय भाव को अच्छी तरह समझें |
6. शीर्षक पहचानने के लिए गद्यांश में इस प्रश्न का उत्तर ढूढें कि ‘गद्यांश का मूल  विषय क्या है ?
7. शीर्षक का अनावश्यक विस्तार नहीं किया जाना चाहिए |
8. शीर्षक संक्षिप्त एवं आकर्षक होना चाहिए |
9. सारांश अनुच्छेद का एक तिहाई होना चाहिए |
10. सारांश में प्रमुख बातें ही शामिल की जाती हैं | अनावश्यक शब्दों को सारांश लिखते समय शामिल न करें |
11. सारांश अपने शब्दों में संक्षेप में लिखें |  
12. सारांश अन्यपुरुष में लिखा जाता है |
आइए कुछ अपठित गद्यांशों का अभ्यास करें –
अपठित गद्यांश 1
महिलाओं की महती भूमिका के बारे में गाँधी जी ने कहा था - स्त्रियों के अधिकारों के प्रश्न पर मैं किसी प्रकार का समझौता करने के लिए तैयार नहीं हूँ | वह तो उनका जन्म सिध्द अधिकार है | मेरी राय में उन्हें किसी प्रकार की असुविधा नहीं होनी चाहिए | स्त्री घर की स्वामिनी है | पुरुष रोटी कमाता है, वह उसे सबको बांटती और खिलाती है | घर का , बच्चों का पालन करती है| वह राष्ट्रमाता है , यदि वह रक्षा न करे तो सारी मानव जाती नष्ट  हो जाए ।

प्रश्न (अ) घर की स्वामिनी कौन है ?
प्रश्न (ब) गाँधी जी किस बात के लिए समझौता नहीं करना चाहते ?
प्रश्न (स) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए |
प्रश्न (द) उपर्युक्त गद्यांश का सारांश 30 शब्दों में लिखिए |
 सबसे पहले पूछे गए प्रश्न को पढें  | तत्पश्चात प्रश्नों को ध्यान में रखते हुए गद्यांश को पढ़ें | जहाँ पर समबन्धित प्रश्न का उत्तर दिखाई पड़े उसे चिन्हाकित करें |

प्रश्न (अ) का उत्तर – घर की स्वामिनी स्त्री है | ( यहाँ पर स्त्री घर की स्वामिनी है लिखना उचित नहीं है , क्योकि प्रश्न के अनुरूप उत्तर होना चाहिए | )
प्रश्न (ब) का उत्तर – गाँधी जी स्त्रियों के अधिकारों के प्रश्न पर किसी प्रकार का समझौता नहीं करना चाहते |
प्रश्न (स) का उत्तर – महिलाओं की महती भूमिका या महिलाओं का महत्त्व एवं उनके अधिकार | या महिलाओं का महत्त्व  ( उपर्युक्त गद्यांश का केंद्रीय भाव है महिलाओं का महत्व एवं उनके अधिकार की स्वीकार्यता )
प्रश्न (द) गाँधी जी ने स्त्रियों के अधिकार एवं महत्त्व का समर्थन किया है, उनका मानना है कि उन्हें अधिकार मिलना चाहिए क्योंकि स्त्री घर की स्वामिनी,सहचरी  तथा राष्ट्रमाता के तुल्य है | वह सम्पूर्ण मानव जाति की रक्षक है |

अपठित गद्यांश 2
स्वार्थ और परमार्थ मानव की दो प्रवृत्तियां हैं| हम अधिकतर कार्य अपने लिए करते हैं | ‘पर’ केलिए सर्वस्व बलिदान करना ही सच्ची मानवता है | यही धर्म है, यही पुण्य है | इसे ही परोपकार कहते हैं | प्रकृति हमें निरंतर परोपकार का संदेश देती है | नदी दूसरों के लिए बहती है| वृक्ष जीवों को छाया तथा फल देने के लिए ही धूप,आंधी, बर्षा और तूफानों में अपना सबकुछ बलिदान कर देते हैं|

प्रश्न (अ) सच्ची मानवता क्या है ?
प्रश्न (ब) मानव की कितनी प्रवृत्तियां होती हैं ?
प्रश्न (स) पुण्य क्या है ?
प्रश्न (द) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए |
प्रश्न (इ) उपर्युक्त गद्यांश का सारांश लिखिए |

प्रश्न (अ) का उत्तर – दूसरों के लिए सर्वस्व बलिदान करना ही सच्ची मानवता है |
प्रश्न (ब) का उत्तर – मानव की दो प्रवृत्तियां है - स्वार्थ और  परमार्थ|
प्रश्न (स) का उत्तर – परोपकार के लिए सर्वस्व बलिदान करना ही पुण्य है
प्रश्न (द) का उत्तर – परोपकार या परोपकार- सबसे बड़ा धर्म , या परहित सरिस धरम नहीं भाई
प्रश्न (इ) का उत्तर – स्वार्थ और परमार्थ मानव की दो प्रवृतियाँ है किन्तु परमार्थ श्रेष्ठ है, यही सच्चा धर्म और पुण्य है | प्रकृति के उपादान नदी ,वृक्ष आदि भी अपना सर्वस्व बलिदान कर ‘पर’ हित में निरत होने का सन्देश देते हैं |
अपठित गद्यांश 3
मनुष्य का जीवन बहुत सघर्षमय होता है| उसे पग-पग पर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है | फिर भी ईश्वर के द्वारा जो मनुष्य रूपी वरदान की निर्मिति इस पृथ्वी पर हुई है मनो धरती का रूप ही बदल गया है | यह संसार कर्म करने वाले मनुष्यों के आधार पर ही टिका हुआ है | देवता भी उनसे ईर्ष्या करते हैं | मनुष्य अपने कर्म बल के कारण श्रेष्ठ है | धन्य है, मनुष्य का जीवन |

प्रश्न (अ) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए |
प्रश्न (ब) यह संसार किसके आधार पर टिका है ?
प्रश्न (स) जीवन और देवता के विलोम शब्द लिखिए |
प्रश्न (द) मनुष्य क्यों श्रेष्ठ है ?
प्रश्न (इ) उपर्युक्त गद्यांश का सारांश लिखिए |
प्रश्न (अ) का उत्तर - उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक कर्मशील मनुष्य’
प्रश्न (ब) का उत्तर - यह संसार कर्मशील मनुष्यों के आधार पर टिका है
प्रश्न (स) का उत्तर –   शब्द         विलोम शब्द
                    जीवन        मरण
                    देवता        दानव
प्रश्न (द) का उत्तर - मनुष्य अपने कर्म बल के कारण श्रेष्ठ है |


प्रश्न (इ) का उत्तर – इस धरा में कर्मशील मनुष्य का जन्म सृष्टि-सर्जक का अप्रतिम वरदान है | वह कर्म बल के कारण ही श्रेष्ठ है और इसीलिए देवता भी उससे ईर्ष्या करते हैं |  | 
अपठित गद्यांश 4
कई लोग समझते हैं की अनुशासन और स्वतंत्रता में विरोध है, किन्तु वास्तव में यह भ्रम है । अनुशासन के द्वारा स्वतंत्रता छिन नहीं जाती ,बल्कि दूसरों की स्वतंत्रता की रक्षा होती है । सड़क पर चलने के लिए हम लोग स्वतंत्र हैं, हमें बायीं तरफ से चलना चाहिए किन्तु चाहें तो हम बीच में भी चल सकते हैं। इससे हम अपने ही प्राण संकट में डालते हैं, दूसरों की स्वतंत्रता भी छींनते हैं । विद्यार्थी भारत के भावी निर्माता हैं । उन्हें अनुशासन के गुणों का अभ्यास अभी से करना चाहिए, जिससे वे भारत के सच्चे सपूत कहला सकें ।  
प्रश्न (अ) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए । 
प्रश्न (ब) दूसरों की स्वतंत्रता की रक्षा किससे होती है ?
प्रश्न (स) भारत के सच्चे सपूत बनने के लिए विद्यार्थियों को कौन से गुणों का अभ्यास करना चाहिए ?
प्रश्न (द) विलोम शब्द लिखिए - स्वतंत्रता, सपूत 
प्रश्न (इ) उपर्युक्त गद्यांश का सारांश लिखिए । 
प्रश्न (अ) का उत्तर - अनुशासन या अनुशासन और स्वतंत्रता 
प्रश्न (ब) का उत्तर - दूसरों की स्वतंत्रता की रक्षा अनुशासन से होती है ? 
प्रश्न (स) का उत्तर - भारत के सच्चे सपूत बनने के लिए विद्यार्थियों को अनुशासन के गुणों का अभ्यास करना चाहिए ।
प्रश्न (द) का उत्तर -     शब्द          विलोम शब्द 
                    स्वतंत्रता         परतंत्रता 
                    सपूत            कपूत 
प्रश्न (इ) का उत्तर - अनुशासन 'स्व' और 'पर' की  स्वतंत्रता की रक्षा के लिए आवश्यक है। इससे अपने जीवन के साथ-साथ दूसरों का जीवन सुरक्षित होता है । अनुशासन के गुणों को आत्मसात करके ही विद्यार्थी सच्चे राष्ट्र निर्माता बन सकते है । 

अपठित गद्यांश 5 

मानव का अकारण ही मानव के प्रति अनुदार हो उठना न केवल मानवता के लिए लज्जाजनक है, वरन अनुचित भी है । वस्तुतः यथार्थ मनुष्य वही है जो मानवता का आदर करना जानता है, कर सकता है । केवल इसलिए की कोई मनुष्य बुध्दिहीन है अथवा दरिद्र वह घृणा का तो दूर रहा, उपेक्षा का भी पात्र नहीं होना चाहिए। मानव तो इसलिए सम्मान के योग्य है की वह मानव है,भगवान की सर्वश्रेष्ठ रचना है ।

प्रश्न (अ) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए । 

प्रश्न (ब) मानव क्यों सम्मान के योग्य है
प्रश्न (स) यथार्थ मनुष्य किसे कहा गया है
प्रश्न (द) विलोम शब्द लिखिए - सम्मान, अनुदार 
प्रश्न (इ) उपर्युक्त गद्यांश का सारांश लिखिए ।

प्रश्न (अ) का उत्तर -मानवता 
प्रश्न(ब)काउत्तर-मानव सम्मान के योग्य है क्योकि वह मानव है और ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति है । 
प्रश्न (स) का उत्तर-यथार्थ मनुष्य उसे  कहा गया है जो मानवता का आदर करना जानता है । 
प्रश्न (द) का उत्तर-           शब्द              विलोम  
                           सम्मान            अपमान 
                           अनुदार             उदार 
प्रश्न (इ) का उत्तर- मानव ईश्वर की अनुपम कृति है । उसे उदारता पूर्वक बुध्दिहीन और गरीबों का सम्मान और सहायता करनी चाहिए । किसी से घृणा नहीं करनी चाहिए ।   

अपठित गद्यांश 6 

धर्म एक व्यापक शब्द है। मजहब, मत, पंथ, या संप्रदाय सीमित रूप हैं । संसार के सभी धर्म मूल रूप से एक ही हैं। सभी मनुष्य के साथ सद्व्यवहार सिखाते हैं । ईश्वर किसी विशेष धर्म या जाति का नहीं । सभी प्राणियों में एक प्राण स्पंदन होता है । उसके रक्त का रंग भी एक ही है । सुख- दुःख का भाव बोध भी उनमें एक जैसा है । आकृति और वर्ण, वेशभूषा और रीति-रिवाज तथा नाम ये सभी ऊपरी वस्तुएँ हैं । ईश्वर ने मनुष्य या इंसान को बनाया है और इंसान ने बनाया है धर्म या मजहब को । ध्यान रहे मानवता या इंसानियत से बड़ा धर्म या मजहब दूसरा कोई नहीं । वह मिलना सिखाता है, अलगाव नहीं । धर्म तो एकता का द्योतक है। 
प्रश्न (अ) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए । 
प्रश्न (ब) धर्म को किसने बनाया है ? 
प्रश्न (स) सबसे बड़ा धर्म क्या है । 
प्रश्न (द) विलोम शब्द लिखिए - धर्म , इंसान 
प्रश्न (इ) उपर्युक्त गद्यांश का सारांश लिखिए । 
प्रश्न (अ) का उत्तर - मानवता और धर्म  या मानवता - सबसे बड़ा धर्म 
प्रश्न (ब) का उत्तर - धर्म को मनुष्य ने बनाया है । 
प्रश्न (स) का उत्तर _  सबसे बड़ा धर्म मानवता है । 
प्रश्न (द) का उत्तर -       शब्द        विलोम शब्द 
                       धर्म         अधर्म 
                       इंसान       हैवान 
प्रश्न (इ) का उत्तर - संसार के सभी धर्म मूल में एक हैं । मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है । धर्म जोड़ता है न कि तोड़ता है । संसार  के सभी प्राणियों में एक ही प्राण का संचार है । वह बाह्य रूप से अलग दिखाई पड़ता है किन्तु वह अंदर से एक ही है। उसमें कोई भेद नहीं है ।  

अपठित गद्यांश 7 

स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है। इसके लिए मनुष्य को मानसिक रूप से और शारीरिक रूप से दोनों ही प्रकार से स्वस्थ होना चाहिए । स्वस्थ मानसिकता ही स्वच्छ समाज को जन्म देती है। मनुष्य की शुध्द सोच नई खोजों को जन्म देती है । इसका असर केवल व्यक्ति विशेष पर ही नहीं वरन समाज, देश, जाति, सब पर समान रूप से पड़ता है और इसके लिए मनुष्य को पूर्णतया अपनी विचारधारा को विकसित करना होगा। पुरानी परंपराएँ एवं रूढ़ियों का त्याग करके नई विकास पध्दति को जन्म देना होगा। 
प्रश्न (अ) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए । 
प्रश्न (ब) विलोम शब्द लिखिए - शुध्द , स्वच्छ 
प्रश्न (स) स्वस्थ मस्तिष्क के लिए क्या होना आवश्यक है ? 
प्रश्न (द) उपर्युक्त गद्यांश का सारांश लिखिए । 
प्रश्न (अ) का उत्तर - स्वस्थ मानसिकता 
प्रश्न (ब) का उत्तर -         शब्द            विलोम शब्द 
                         शुध्द            अशुध्द 
                         स्वच्छ           अस्वच्छ 
प्रश्न (स)का उत्तर - स्वस्थ मस्तिष्क के लिए स्वस्थ शरीर  होना आवश्यक है । 
प्रश्न (द) का उत्तर - स्वस्थ मानसिकता स्वच्छ समाज, नई सोच की जननी है । इसका प्रभाव व्यक्ति के साथ -साथ समाज, देश और जाति पर पड़ता है । इसके लिए  व्यक्ति को रूढ़ियों का परित्याग कर अपनी सकारात्मक सोच को विकसित करना चाहिए । 

अब आपकी बारी 

अपठित गद्यांश 1 

"आदर्श व्यक्ति कर्मशीलता में ही अपने जीवन की सफलता समझता है।जीवन का प्रत्येक क्षण वह कर्म में लगाता है। विश्राम और विनोद के लिए उसके पास निश्चित समय रहता है। शेष समय जन सेवा में व्यतीत होता है। हाथ पर हाथ धर कर बैठने को वह मृत्यु के समान समझता है।  काम करने की उसमें लगन होती है। उत्साह होता है।  विपत्तियों में भी वह अपने चरित्र का सच्चा परिचय देता है। धैर्य की कुदाली से वह बड़े-बड़े संकट पर्वतों को ढहा देता है।  उसकी कार्यकुशलता देखकर लोग दाँतो तले ऊँगली दबाते हैं। संतोष उसका धन है। वह परिस्थतियो का दास नहीं। परिस्थितियाँ उसकी दासी हैं।"
(i) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
(ii)  हाथ पर हाथ धरना और दाँतों टेल ऊँगली दबाना मुहावरे का अर्थ लिखिए।    
(iii) उपर्युक्त गद्यांश में वर्णित व्यक्ति के गुणों का वर्णन अपने शब्दों  कीजिए।   

अपठित गद्यांश 2 

उदारता का अभिप्राय केवल निःसंकोच भाव से किसी को धन दे डालना ही नहीं वरन दूसरों के प्रति उदार भाव रखना भी है।  उदार पुरुष सदा दूसरों के विचारों का आदर करता है और समाज में सेवक भाव से रहता है।  यह न समझो कि केवल धन से उदारता हो सकती है।  सच्ची उदारता इस बात में है कि मनुष्य को मनुष्य समझा जाय। धन की उदारता के साथ सबसे बड़ी एक और उदारता की आवश्यकता है, वह यह है कि उपकृत के प्रति किसी प्रकार का अहसान न जताया जाए।  अहसान दिखाना उपकृत को नीचे दिखाना है। अहसान जताकर उपकार करना अनुपकार है। 

प्रश्न 1. उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।  
प्रश्न 2. उदार पुरुष की क्या विशेषता होती है ?
प्रश्न 3. सच्ची उदारता किसमें है ?
प्रश्न 4. अनुदार क्या है ?
प्रश्न 5. विलोम शब्द लिखिए - उदार,उपकृत 

अपठित गद्यांश 3

आप हमेशा अच्छी जिन्दगी जीते आ रहे हैं।  आप हमेशा बढ़िया कपड़े,बढ़िया जूते, बढ़िया घड़ी, बढ़िया मोबाईल जैसे दिखावों पर बहुत खर्च करते हैं, मगर आप अपने शरीर पर कितना खर्च करते हैं ? इसका मूल्यांकन जरूरी है।  यह शरीर अनमोल है।  अगर शरीर स्वस्थ नहीं होगा तो आप ये सारे सामान किस पर टाँगेंगे ? अतः स्वयं का स्वस्थ रहना सबसे जरूरी है एवं स्वस्थ रहने में हमारे खान-पान का सबसे बड़ा योगदान है। 

प्रश्न (i) उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए। 
   (ii) अनमोल क्या है ?
   (iii) किसका मूल्यांकन करना जरूरी है ?
   (iv) उपर्युक्त गद्यांश का सारांश लिखिए।   


14 टिप्‍पणियां:

  1. दसवीं बोर्ड के स्तर के अपठित गद्यांश, पद्यांश हो तो जरूर शेयर करें अभ्यास कार्य हेतु सुविधा रहेगी ।

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  2. गाँधी के अनुसार शिक्षा शरीर

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  3. Man ki chanchalta manusya ko mnoranjan me a nek avsar pradan karti h likin isse pragti me PTH me aane wali anek bdhaye

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  4. इस गद्यांश का अर्थ अपने शब्दों मे लिखिए

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  5. आप हमेशा अच्छी जिंदगी जीते आ रहे हैं। आप हमेशा बढ़िया कपड़े बढ़िया जूते घड़ी बढ़िया मोबाइल जैसे दिखाओ ऊपर बहुत खर्च कर रहे हैं आप अपने शरीर पर कितना खर्च करते हैं? इसका मूल्यांकन। यह शरीर अनमोल है अगर शरीर स्वस्थ नहीं होगा तो आप यह सारे सामान किस पर टांगे के अतः स्वयं का स्वस्थ रहना सबसे जरूरी है एवं स्वस्थ रहने में हमें खान-पान का सबसे बड़ा योगदान है।

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  6. उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए दूसरा अनमोल क्या है तीसरा शुद्ध असली शब्दों के विलोम शब्द लिखिए

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