बुधवार, 7 दिसंबर 2016

रस

प्रश्न 1. रस किसे  कहते हैं ?
उत्तर- रस का अर्थ एवं  परिभाषा-
 'रस्यते आस्वादयेत् इति रसः' अर्थात जिसका आस्वाद किया जाय, वही रस है। जिस प्रकार हमें स्वादिष्ट भोजन से स्वादेंद्रिय और मन को तृप्ति मिलती है, ठीक उसी प्रकार काव्य का आस्वादन करने से जो हृदय को आनंद मिलता है , वही रस कहलाता है। दूसरे शब्दों में किसी काव्य को  पढने ,सुनने और देखने  से जो आनद की अनुभूति होती है उसे रस कहते हैं । संक्षेप  में  - " साहित्यिक आनन्द का नाम ही रस है। '


प्रश्न 2.. रस की निष्पत्ति कैसे होती है ? 
त्तर- सहृदय के ह्रदय में स्थित स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव से संयोग होता है, तब रस की निष्पत्ति होती है । आचार्य भारत मुनि ने कहा है - " विभावानुभाव व्यभिचारी संयोगात रस निष्पत्ति।"


प्रश्न 3. रस के कितने अंग हैं ? 
उत्तर-  रस के चार  अंग  होते हैं - 
1. स्थायी भाव- यह भाव आश्रय के हृदय में स्थाई रूप से वर्तमान रहता है। इसकी संख्या 10 है।
2. विभाव- स्थाई भाव का जो कारण होता है,उसे ही विभाव कहते हैं। इसके दो भेद हैं- आलंबन और उद्दीपन
3. अनुभाव- आश्रय में रस उत्पन्न होने की दशा में जो शारीरिक,मानसिक,वाचिक चेष्टाओं में परिवर्तन होता है, अनुभाव कहलाता  है । इसके चार प्रकार हैं- 1. कायिक  2. वाचिक  3. आहार्य  4. सात्विक 
4. संचारी भाव- थोड़े समय के लिए उत्पन्न होने वाले भाव, संचारी भाव कहलाते है । इनकी संख्या 33 है । 




प्रश्न 4. स्थायी भाव और संचारी भाव में क्या अंतर है ?  

उत्तर- स्थायी भाव और संचारी भाव में  अंतर-

स्थायी भाव
संचारी भाव
1. स्थायी भाव सहृदय के ह्रदय में स्थायी रूप से विद्यमान होते हैं |
1.संचारी भाव सहृदय के चित्त में पानी के बुलबुले के समान प्रकट होते हैं और तुरंत लुप्त हो जाते हैं |
2. प्रत्येक रस का अपना एक स्थायी भाव होता है, ये अपने रस के जनक कहलाते हैं |   
2. एक संचारी भाव का अनेक रस में संचार हो सकता है, इसीलिए इसे व्यभिचारी भाव की संज्ञा दी गई है |  
3. स्थायी भावों की संख्या 10 है |
3.सचारी भावों की संख्या 33 है |
4.स्थायी भाव सहृदय के ह्रदय में दीर्घ समय तक बने रहते है|
4.सचारी भाव सहृदय के चित्त में कुछ क्षणों के लिए उत्पन्न होते है, ये अस्थायी होते हैं|  

प्रश्न 5. हास्य रस किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइए । ( 2010 पूरक )

उत्तर -  जहाँ पर किसी की विचित्र वेश-भूषा विकृत, आकृति ,क्रियाकलाप, रूप-रंग,वाणी और व्यवहार को देखकर,सुनकर,पढ़कर, ह्रदय में उत्पन्न हास का भाव ही हास्य रस कहलाता है । इसका स्थाई भाव हास है ।
उदाहरण -
बंदर ने कहा बंदरिया से , चलो नहाएं गंगा । 
बच्चों को छोडो घर में होने दो हुड़दंगा । 

या  
अक्लमंद से कह रहे , मिस्टर मूर्खानंद |
देश-धर्म में क्या धरा, पैसे में आनंद || ( काका हाथरसी ) 

या 

जब धूम-धाम से आती है बारात किसी की सज-धजकर।
मन करता धक्का दे दूल्हे को जा बैठूँ घोड़े पर। 
सपने में ही मुझको अपनी शादी होती दिखती है।  
वरमाला ले दुल्हन बढ़ती बस नींद तभी खुल जाती है।  

प्रश्न 6. रौद्र रस का स्थायी भाव लिखते हुए उदाहरण सहित समझाइए । ( 2012 पूरक )
उत्तर - रौद्र रस का स्थाई भाव क्रोध है । जहाँ पर किसी के असह्य वचन, अपमान जनक व्यवहार के  कारण ह्रदय में क्रोध का भाव उत्पन्न होता है, वहाँ रौद्र रस होता है । 
उदहारण -
रे बालक,  कालवस बोलत,तोही न संभार । 
धनुहि सम त्रिपुरारि  धनु , विदित सकल संसार ॥ 

या  

श्रीकृष्ण के वचन सुन , अर्जुन क्रोध से जलने लगे,
सब शोक अपना भूलकर , करतल युगल मलने लगे । 
संसार देखे अब हमारे शत्रु रण में मृत पड़े ,
करते हुए यह घोषणा, वे हो गए उठकर खड़े।  
उस काल मारे क्रोध के तन काँपने लगा उनका।  
मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा। 

या 

माथे लखन कुटिल भई भौंहें। 
रद-पट फरकत नयन रिसौंहें। 

 या 
सुनत लखन के वचन कठोरा। 
परशु सुधारि  धरेउ कर घोरा।।  
अब जनि देउ  दोष मोहि लोगू। 
कटु वादी बालक वध जोगू। । 


प्रश्न 7. श्रृंगार रस किसे कहते  । इसके कितने भेद हैं , उदाहरण सहित समझाइए । 

उत्तर- जहाँ पर नायक और नायिका या  स्त्री -पुरुष की प्रेमपूर्ण चेष्टाओं का, व्यवहारों का वर्णन होता है , वहां श्रृंगार रस होता है । इसका स्थायी भाव रति है । 

इसके दो भेद हैं - 
1. संयोग श्रृंगार 
2. वियोग श्रृंगार या विप्रलंभ श्रृंगार 

1. संयोग श्रृंगार - इसमें नायक और नायिका के मिलन , आलिंगन , दर्शन ,स्पर्श आदि संयोगजनित प्रेमपूर्ण चेष्टाओं का वर्णन होता । 
उदाहरण - 

राम के रूप निहारति जानकी कंकन के नग की परछाहीं । 
याती सबै सुधि भूलि गई, कर टेकि रही पल टारत नाहीं ।

या 

बतरस- लालच लाल की मुरली धरि लुकाय  । 
सौंह करै, भौंहनि हंसे दैन कहै नटि जाय ।। 

2. वियोग श्रृंगार - इसमें प्रिय के वियोग या विरह के कारण हृदय की व्याकुलता, विह्वल दशा का चित्रण  होता है । 
 उदाहरण- 

हेरी मैं तो प्रेम दीवानी , दरद न जाने कोय । 
सूली ऊपर सेज पिया की , किस विधि मिलना होय । 

या 

निसदिन बरसे नयन हमारे ,
सदा रहत पावस ऋतु हम पर जब से स्याम सिधारे । 

या 

 मधुबन तुम कत  रहत हरे। 
विरह-वियोग स्याम सुंदर के ठाढ़े क्यों न जरे। 


प्रश्न 8. वात्सल्य रस को उदाहरण सहित समझाइए । 
उत्तर - जहाँ  पर  माता- पुत्र /  पुत्री  , पिता -पुत्र /पुत्री  के बीच या अपने से छोटों के प्रति  स्नेह जनित भाव का चित्रण होता है , वहाँ वात्सल्य रस होता है । इसका स्थायी भाव वत्सल है । 

उदहारण - 


धूलि भरे अति शोहित स्याम जू , तैसी बनी सर सुन्दर चोटी । 
काग के भाग बड़े सजनी , हरी हाथ से ले गयो माखन रोटी ॥

या 

माँ ओ , कहकर बुला रही थी ,
मिट्टी  खाकर आई थी । 
कुछ मुँह में कुछ लिए हाथ में,
मुझे खिलाने आयी थी । 
मैनें पूछा - यह क्या लाई ?
बोल उठी माँ काओ । 
हुआ प्रफुल्लित ह्रदय खुशी से ,
मैंने कहा - तुम्ही खाओ ।  

प्रश्न 9. करुण रस को उदाहरण सहित लिखिए । (2012 ) 

 उत्तर -  जहाँ पर किसी प्रिय जन या इष्ट के कष्ट ,शोक, दुख, मृत्यु जनित प्रसंग के कारण या अनिष्ट की आशंका के कारण ह्रदय में पीड़ा या शोक का भाव उत्पन्न हो, वहां करुण रस होता है ।  इसका स्थायी भाव शोक है । 

उदाहरण -


राम राम कहि राम कहि, राम राम कहि राम।
तनु परिहरि रघुवर-विरह, राउ गएउ सुरधाम।।

या 

अभी तो मुकुट बँधा था माथ ,
हुए ही थे कल हल्दी के हाथ ,
हाय रुक गया यह संसार ,
बना सिंदूर अंगार । 

प्रश्न 10. वीर  रस को उदाहरण सहित लिखिए ।

उत्तर-  जहाँ पर किसी युध्द का प्रसग , ओजस्वी घोषणा , उत्साह से भरे गीत सुनकर ह्रदय में उत्साह का भाव जाग्रत हो,वहां वीर रस होता है।  वीर रस का स्थायी भाव उत्साह है।  

उदाहरण -

बुंदेले हर बोलों के मुख ,हमने सूनी कहानी थी। 
 खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी। 

या 

वह खून कहो  किस मतलब का,
जिसमें उबाल का नाम नहीं। 
 वह खून कहो  किस मतलब का,
आ सके देश के काम नहीं।  

प्रश्न 11 . अदभुत  रस को उदाहरण सहित लिखिए ।

उत्तर- जहाँ अलौकिक या आश्चर्यजनक वस्तुओं या प्रसगों को देखकर या सुनकर जो विस्मय का भाव ह्रदय में उत्पन्न होता है,वहां अद्भुत रस पाया जाता है।  इसका स्थाई भाव विस्मय या आश्चर्य है।  

उदाहरण-

बिनु पद चलै सुनै बिनु काना। 
कर बिनु कर्म करै विधि नाना।।
आनन रहित सकल रस भोगी। 
बिनु बानी वक्ता बड़ जोगी।। 

या 

अखिल भुवन चर-अचर सब ,
हरि-मुख में लखि मातु।
चकित भई गद -गद वचन, 
वविकसित दृग पुलकातु।। 

प्रश्न 12  . शान्त रस को उदाहरण सहित लिखिए ।

उत्तर-  सृष्टि की नश्वरता एवं दुःख की अधिकता को देखकर ह्रदय में उत्पन्न वैराग्य भाव से परिपाक हुआ रस शान्त रस कहलाता है।  इसका स्थायी भाव निर्वेद या शम  हैं 

उदाहरण - 

चलती चाकी देखकर, दिया कबीरा रोय।  
दुइ पाटन के बीच में , साबुत बचा न कोय।।

या 

अब लौ नसानी अब न नसैहौं।  
राम  कृपा भव निशा सिरानी जागे फिर न डसैहों। 

या 

पानी केरा बुदबुदा , अस मानुस की जात।  
देखत ही छिप जाएगा , ज्यों तारा परभात।। 



प्रश्न 13 . भयानक रस को उदाहरण सहित लिखिए ।

भयानक रस - सहृदय के ह्रदय में स्थिति भय  नामक स्थायी भाव , विभाव, अनुभाव और संचारी भाव से संयोग होता है , तब भयानक  रस की निष्पत्ति होती है । जैसे - 


गोमयु गीध कराल खर रव स्वान रोवहिं अति घने। 
जनु  कालदूत उलूक बोलहिं बचन परम भयावने। । 

अथवा 

नभ ते झपटत बाज लखि, भूल्यो सकल प्रपंच। 
कंपित तन व्याकुल नयन, लावक हिल्यो न रंच । । 

अथवा 

हाहाकार हुआ क्रंदनमय, कठिन वज्र होते थे चूर।  
हुए दिगंत बधिर भीषण रव बार-बार होता था क्रूर।।  


प्रश्न 14  . वीभत्स  रस को उदाहरण सहित लिखिए ।

वीभत्स रस - सहृदय के ह्रदय में स्थिति जुगुप्सा या घृणा    नामक स्थायी भाव , विभाव, अनुभाव और संचारी भाव से संयोग होता है , तब वीभत्स   रस की निष्पत्ति होती है । जैसे - 


मारहिं काटहिं धरहिं पछारहिं । 
सीस तोरि सीसन्हसन मारहिं । । 

अथवा 

कोउ अँतड़िनि की पहिरि माला इतरात दिखावत । 
कोउ चरबी लै लोप सहित निज अंगनि लावत । । 
कोउ मुंडनि लै मानि मोद कंदुक लौ डारत । 
कोउ रुण्डनि पै बैठि करेजौ फारि निकारत । । 

7 टिप्‍पणियां:

  1. Thankyou so much bahut aacha likha hai aapne

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  2. आपका धन्यवाद करने में हमारे पास शब्द नहीं है आपको कोटि कोटि साधुवाद

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