बुधवार, 7 दिसंबर 2016

छंद


प्रश्न 1. उल्लाला छन्द की परिभाषा उदाहरण सहित  लिखिए । (2015) 
उत्तर- उल्लाला छन्द की परिभाषा एवं उदाहरण -
 यह एक मात्रिक छंद है । इसके प्रत्येक चरण में 15 व 13 की यति पर  कुल 28 मात्राएँ होती हैं।

                 S    I I I    S  I S  S  I I I    I I   I I S   I I S   I S   
उदाहरण  - यों   किधर जा रहे  हैं बिखर, कुछ बनता इससे कहीं ।         
                संगठित ऐटमी रूप धर , शक्ति पूर्ण जीतो मही ॥  

या 

हे शरण दायनी देवि तू ,करती सबका त्राण है।  
हे मातृभूमि सन्तान हम, तू जननी तू प्राण है। ।  

या 
  I I S   I I S  I  I S I  S  I  I SS   I I  S  I S
 करते अभिषेक पयोद हैं , बलिहारी इस देश की। 
हे मातृभूमि तू सत्य ही , सगुण मूर्ति सर्वेश की।। 





प्रश्न 2. हरिगीतिका  छन्द की परिभाषा उदाहरण सहित  लिखिए । (2014,2016)

उत्तर- हरिगीतिका  छन्द की परिभाषा उदाहरण-
यह एक सम मात्रिक  छंद है । इसमें चार चरण होते हैं । प्रत्येक चरण में 16  और 12 की यति से 28 मात्राएँ होती हैं । अंत  में दो गुरु होते हैं । 

                I I  I I    S  S I  I  S I  I      S S   S I   I S   S
उदाहरण - वह सनेह की मूर्ति दयामयि , माता तुल्य महीं है । 
               उसके प्रति कर्तव्य तुम्हारा, क्या कुछ शेष नहीं है । 
               हाथ पकड़कर प्रथम जिन्होंने, चलना तुम्हें सिखाया । 
               भाषा सिखा हृदय का अदभुत, रूप स्वरूप दिखाया । 
या 

अधिकार खोकर बैठे रहना, यह महा दुष्कर्म है।  
न्यायार्थ अपने  बंधु को भी , दण्ड देना धर्म है। । 
इस ध्येय पर ही कौरवों और पांडवों का रण हुआ। 
जो भव्य भारत वर्ष के कल्पान्त का कारण हुआ। । 


प्रश्न 3. गीतिका  छन्द की परिभाषा उदाहरण सहित  लिखिए । (2013,2014)

उत्तर- गीतिका  छन्द की परिभाषा उदाहरण - 
 यह एक सम मात्रिक  छंद है । इसमें चार चरण होते हैं । प्रत्येक चरण में 14 और12 की यति से 26 मात्राएँ होती हैं । प्रत्येक चरण के अंत में लघु और गुरु होता है ।  

                 S I S   S S I   S S    S I  I I S    S I S 
उदाहरण -  हे प्रभो आनन्द दाता , ज्ञान हमको दीजिए । 
                 शीघ्र सारे दुर्गुणों को , दूर हमसे कीजिए । 
                 लीजिए हमको शरण में , हम सदाचारी बनें । 
                 ब्रह्मचारी धर्मरक्षक , वीर व्रत धारी बनें ।
उदाहरण 2 
                जल जीवन है चेतन का , सृष्टि का आधार है। 
                जल बिना जगत है सूना , शुष्क सब संसार है। 
                जल की बूँदों में  छिपा, नव सृजन का राज है। 
                जल है तो जग है सारा , जल बिनु सब निसार है।   
उदाहरण 3. 
साधु भक्तों में सुयोगी संयमी बढ़ने लगे। 
सभ्यता की सीढ़ियों पर ,सूरमा चढ़ने लगे। 
वेद मन्त्रों की विवेकी ,  प्रेम से पढ़ने लगे। 
वंचकों की छातियों में शूल से गढ़ने लगे।   

प्रश्न 4.  रोला छन्द की परिभाषा उदाहरण सहित  लिखिए । 
उत्तर- रोला  छन्द की परिभाषा उदाहरण - 
यह एक अर्द्ध सम मात्रिक छंद है । यह ात्रा की संरचना से   दोहे का उल्टा होता  है। इसके प्रथम और तृतीय चरण में 11 -11  मात्राएँ एवं द्वितीय और चतुर्थ चरण में 13 -13 मात्राएँ होती हैं । कुल 24 मात्राएँ एक पंक्ति में होती हैं । इसके अंत  में दो गुरु या दो लघु आना उत्तम होता है।  
विशेष- 1. सोरठा और रोला के प्रथम और तृतीय चरण में 11-11 तथा  द्वितीय और चतुर्थ चरण में 13 -13  मात्राएँ होती हैं। 
          2. किन्तु सोरठा के  मध्य में तुक होता है , जबकि रोला के अंतिम में तुक होता है। 
          3. सोरठा पूर्णतः दोहा का उल्टा होता है, किन्तु रोला नहीं।   रोला के अंत में दो गुरु या दो लघु का आना उत्तम                        माना जाता है। । 

                 S I I     S S  S I     S I  S   S  S   SS
उदाहरण -    बाहर  आया माल , सेठ ने जो था चाँपा । 
                  बंद जेल में हुए , दवा बिन मिटा मुटापा ॥   

या 

ससि बिनु सूनी रैन , ज्ञान बिनु ह्रदय सूना। 
कुल सूना बिनु पुत्र , पत्र बिनु तरुवर सूना।
गज सूना बिनु दंत , ज्ञान बिनु साधू  सूना।
द्विज सूना बिनु वेद , ललित बिनु शायर सूना।   




18 टिप्‍पणियां:

  1. सोरठा दोहे का उल्टा होता है,सोरठे को उल्टा करने पर वह दोहा बन जाता है।किन्तु रोला को भी दोहे का उल्टा बोलना क्या उचित होगा? रोला भी यदि उल्टा है तो पलटने पर दोहा होना चाहिए जो कि नहीं होता। हाँ रोला की मात्राएँ 11-13 जरूर होती है।
    कृपया मार्गदर्शन करेंगे।
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  2. उत्तर
    1. हे प्रभु आनंददाता ज्ञान हमको दीजिए ।
      शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिए।

      हटाएं
  3. हरिगीतिका का कोई सरल उदाहरण हो तो कृपया दे.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हरिगीतिका छंद का उदाहरण। =
      श्री कृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्रोध से जलने लगे, सब शोक अपना भूलकर करतल युगल मलने लगे। संसार देखें अब हमारे शत्रु चरणों में मृत पड़े, करते हुए यह उद्घोषणा उठकर हो गए वह खड़े।।

      हटाएं
  4. अधिकार खो कर बैठे रहना,यह महा दुष्कर्म है।....
    सर इस उदाहरण की मात्राएं गिन के बताओ ये मुझे जिन्ना नहीं आरही हैं।

    जवाब देंहटाएं
  5. Khadhi boli gadhya me bahumukhi lekhan kis Yuga se prarambh hua tha?

    जवाब देंहटाएं
  6. वैभव व अनुभव में अंतर स्पष्ट कीजिए


    जवाब देंहटाएं